Monday, January 8, 2018

हर बरस करते आए यही कामना

हर बरस करते आए यही कामना 
शुभ नया वर्ष हो आपके वास्ते
स्वप्न साकार हो सारे देखे हए
और फूलों लदे हों सभी रास्ते 

और हर बार ढलते हुए वर्ष ने
सिर्फ़ लौटाई है आस जो झड़ गिरी

हर बरस राग ये ही बजाती रही
ढलते बरसो में बेसुर हुई बांसुरी

ईसलिए इस बरस मैं सजाता नही
कोई भी कामना एक ही के लिए
आज हर कामना इस धरा के लिए
जिसको हम हर घड़ी है उपेक्षित किये 

कामना, अपना दायित्व समझे सभी
और निधियों की पूरी सुरक्षा करें 
और कोई करे, ना करे तो भी क्या
कामना, आप अब न उपेक्षा करें

कौन सी सभ्यता का मुखौटा लगा
 हम स्वयं को भुलावा दिये जा रहे
आज मातम मनाता है वातावरण
और हम एक मल्हार हैं गा रहे

आज नववर्ष में बस यही कामना
अपने दायित्व का मिल वहन सब करें
जो धरोहर में हमको धरा ने दिया
पीढ़ियों के लिए कर सुरक्षित रखें