Thursday, March 1, 2007

ये न थी हमारी किस्मत( होली )

लो कर लो बात.

प्रश्नोत्तरी की गति धीमी पड़ गई है और कल परसों तक यह गाड़ी मालगोदाम के शंटिंग यार्ड में चली जायेगी. बड़े से बड़े धुरंधरों से लेकर नये शहसवार भी इस गाड़ी मेम सवार हो गये और अपना अपना विज्ञापन जोर शोर से बस एक बार करके बैठ गये. इधर हम आस लगाये बैठे थे कि कोई हमसे भी पूछे. प्रत्यक्षा ने स्म्केत भी दिया कि मछलियाम तल कर समीर भाई हमारी ओर निगाहें उठाने वाले हैं पर भाई

ये न थी हमारी किस्मत कि विसाले प्रश्न होता

जब हमन यह शिकायत की तो उधर से फ़ौरन जवाब आया कि उड़न तश्तरी तो आजकल ओवरहालिंग के लिये गई हुई है लिहाजा आप वायुयान में चढ़ कर टोरांटो आ जायें तभी सारी बातें होंगीं.

अब क्योंकि शायद वे भूल गये कि TSA ( Transport Security Administration ) ने क्या क्या प्रतिबन्ध लगा दिये हैं यात्रा पर, इसलिये याद दिला रहा हूँ

आपके नगर आऊं यान पर चढ़ कर
बता रहा बचा नहीं और अब दम है

शेविंग किट छीनी गई और फिर कहा गया कि पानी वाली बोतल मे छुपा हुआ बम है

शेविंग किट छीनी गई और फिर कहा गया कि
पानी वाली बोतल मे छुपा हुआ बम है
मठरियाम बनाई हुई बीवी की हैं प्लास्टीक
नीबू का अचार कहा गया सीफ़ोर है
भूख खाते प्यास पीते करें अब सफ़र कैसे,
टी एस ए क्या किसी आततायी से कम है.

अब अकेले हमारा हाल यह थोड़े ही था. महिला यात्रियों को भी बख्शा नहीं गया


होठों वाली लाली छिनी, महंगा इत्र जब्त हुआ
मस्कारा फ़ैंका गया झट से कूड़े दान में

होठों वाली लाली छिनी, महंगा इत्र जब्त हुआ
मस्कारा फ़ैंका गया झट से कूड़े दान में
ड्योडोरेन्ट खतरे की घंटियाँ बजाने लगा
रेड फ़्लेग लगा कैरी आन के सामान में
तीस की ज्प युवती थी लगती पचास की वो
ऐसे पढ़े सीक्योरिटी ने कशीदे शान मेम
जिसे देखो वही अब कसमेम उठाता फिरे
अब न करेंगे वो सफ़र वायुयान में

अब क्योंकि सफ़र तो मुमकिन नहीं है इसलिये अपने बारे में पूछा गया परिचय होली की मस्ती घोलकर पीने के बाद दे रहा हूँ

वाशिंगटन एं जब भी कोई मिलता पूछे क्या करते हो ?
कम्प्यूटर के प्रोग्रामर हो या रोगी देखा करते हो
या तकनीकी समझ बूझ में अपनी टाँग अड़ा रक्खी है
या फिर अपना ही कोई व्यवसाय जनाब किया करते हो
इन सब प्रश्नों के उत्तर में एक बात केवल कहता हूँ
चिट्ठा लिखता रहता हूँ जी, मैं कवि हूँ कविता करता हूँ


वैसे मुझको ज्ञान नहीं है कुछ ज्यादा हिन्दी भाषा का फिर भी लिख कर दीप जलाता ताली बजने की आशा का -

वैसे मुझको ज्ञान नहीं है कुछ ज्यादा हिन्दी भाषा का
फिर भी लिख कर दीप जलाता ताली बजने की आशा का
जाने अनजाने में मुझसे तुकबन्दी भी हो जाती है
जो कुछ लिखता, मेरी नजरों में वो कविता कहलाती है
तोड़ फ़ोड़ कर शब्द सदा खिलवाड़ बहुत करता रहता हूँ

शब्द कोष की गहराई से भारी भरकम शब्द तलाशे जिनका आशय समझ न पायेम कुछ भी, श्रोता अच्छे खासे

शब्द कोष की गहराई से भारी भरकम शब्द तलाशे
जिनका आशय समझ न पायेम कुछ भी, श्रोता अच्छे खासे
मैं जिजीविषा की प्रज्ञा के संकुल के उपमान भुला कर
ऊटपटाँग बात करता हूँ अपने पंचम स्वर में गाकर
काव्य धरा की घास मनोहर, मैं स्वच्छंद चरा करता हूँ
चिट्ठा जग में रहता हूँ जी , मैं कवि हूँ कविता करता हूँ

तो ठीक है न आप जान ही गये हमारे बारे में. अब अगर आपको होली की खुमारी ये पढ़ कर न चढ़े तो भाइ समस्या गंभीर है. महाराज जी से इसका इलाज पूछना पड़ेगा और अगर मालूम हो गया हमेम तो अगली बार जरूर बतायेंगें और सच खुमारी उतार कर.

होली की शुभकामनायें




1 comment:

ghughutibasuti said...

बहुत खूब !
घुघूती बासूती